Saturday, January 16, 2010

प्रसासनिक भ्रस्टाचार

आज के समय में प्रसासनिक भ्रस्टाचार (भारत में) अपनी चरम सीमा पर है आज अगर आप को कोई भी छोटा से छोटा काम सरकारी आफिसों से कराना है तो पहले आप रुपयों का इंतजाम करे फिर जुगाड़ लगाये तब जाकर आप का काम पूरा हो पायेगा

आज अगर आप को सरकारी नौकरी करना है तो आपकों पढाई के साथ - साथ रुपये और जुगाड़ का भी इंतजाम करना पड़ेगा तब आपको नौकरी मिलेगी सरकारी दफ्तरों में ली जाने वाली रिस्वत सिर्फ एक आदमी तक ही सीमित नहीं है। यह रिस्वत एक छोटे से अधिकारी से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुचती है
लेकिन इन सब परिस्थिथियो को जन्म देने वाले भी हम ही लोग है क्योकि अगर आम जनता एक जुट होकर इन चीजो का विरोध करे तो हम इसमें काबू पा सकते है लेकिन आने वाले समय में ये सिर्फ एक कल्पना ही रहेगी क्योकि समय के अनुसार रिस्वत का जहर हर व्यक्ति के अन्दर तेजी से फैलता चला जा रहा है जिसका इलाज मिलाना सायद मुस्किल ही है क्योंकि रिस्वत का जहर इतना ज्यादा फ़ैल चुका है की उसने अब कैंसर का रूप लेना सुरु कर दिया है जो की प्रत्येक व्यक्ति के खून में सामिल हो गया है।

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